Central Homoeopathic Organization
कार्य सुची
- सदस्यता फर्म,
- सदस्य सुची,
- गतिरोध
- प्राथमिकतायें
- सहयोग एवं समर्थन
- समस्या और संगठन
- इतिहास
- कार्य योजना
- मिटिंग(बैठक)
- अनुशासन
- डॉ सदस्य का परिचय
- ऑर्गेनाईजर का परिचय
- प्रेरक प्रसंग 23
परिचय
चिकित्सा विज्ञान की विकाश के शीर्ष बिन्दु पर आज होमियोपैथिक चिकित्सा ही है जिसकी सार्थकता को आज बल मिलने लगा है। बिज्ञान आज नैनो कण तक पहुँचकर जो एक चमत्कारिक प्रभाव दिखा रहा है वहां से होमियोपैथिक विकाश एवं विश्वास को गति मिलनी तय है। लोजिकल आधार पर जो उपलब्धि होमियोपैथिक ने पायी है उसका सम्मान आज भी दुनीयां कर रही है। आज इसके विकाश मे नये नये आयाम जुरते जा रहे है।
सफल चिकित्सको की अपनी ही एक गाथा है, जिसके बारे मे हम येन – केन प्रकारेन वातें सुनते रहते है, जिसको पुर्ण रुप से समझकर आगे ले जाना मुश्किल होता है, क्योंकी वह व्यवस्थित होकर एक प्रारुप मे हमारे सामने नही आता है। इसके लिए एक बिश्वस्त चिंतन मंच की आवश्यकता है जो एक कड़ी के रुप मे हमे लगातार उर्जावान बनाये रखे। आज हमे यह संगठन इसी सोच को फलिभुत करते हुए हमे एक पहचान और सम्मान की शीर्ष पर लायगा जहां से हमें गौर्वांवित होने का गहरा एहसास होगा और जिससे समाज कल्याण योग भी सुदृढ़ होगा।
यदपि होमियोपैथिक का विवाद से गहरा नाता रहा है। यह पैथि आज भी कई मोर्चो पर अपनी वैज्ञानिक पहचान के लिए लड़ रहा है। तथापि इसका विकास भी लगातार जारी है। भारत मे करोना काल के समय जिस तरह से होमियोपैथिक के दवा का प्रयोग हुआ उससे लोगो के अलावा सरकार का ध्याण भी इस ओर गया है, और इसके विकास के कई पहलु अब देखने को मिल भी रहे है। आगे भी यह जारी रहे और यह अपने सफलता की चरम पर पहुँचे इसके लिए लगातार प्रयास की जरुरत है।
इसी प्रयास मे सभी की भागीदारी को एक नई दिशा देने के ख्याल से एक संगठन का आधारशिला रखा गया है। इसके माध्यम से हम अपनी समस्या को एक बिचार मंच पर रखते हुए आगे बढ़ सकते है जहां हमारी विचार को एक दिशा मिलेगी।
सेन्ट्रल होमियोपैथिक ऑर्गेनाईजेशन की जरुरत क्यों है
वैसे तो समय और जरुरत के आधार पर बहुत सारी होमियोपैथिक संगठन का निर्माण हुआ। समय – समय पर इसके वार्षिक उत्सव भी होते रहते है। लेकिन होमियोपैथिक विकाश के नाम पर कार्य को गति नही मिलती है। इसका कारण इसके संचालन करने वाले की सोच पर निर्भर है। कई ऐसे संगठन है जो स्वयं की पराकाष्ठा को बराकरार रखने के ख्याल से बनाया गया है। जिसमे सामान्य लोगो की पहुँच कम है। जिसकी पहुँच है भी उसके विचार को महत्व नही मिलता है। सक्रिय लोग खुद तक सिमित होकर रह गये है।
आज हमलोग जिस परेशानी का समना कर रहें है उसको दुर करने के लिए एक बिचार मंच की जरुरत थी, जिसमें की हम बात को औरो तक पहुँचा सके और इस विचार को एक गति मिले। यह विचार एक समग्र चितन का भाग बनते हुए सरकार तक पहुँचकर हमारी जरुरत को पुरा करे। आजकल की सुचना क्रांती के समय मे अपने विचार को रखने का बहुत सारा जरीया है लेकिन वह विचार एक सम्रग चिंतन का भाग नही बनता है और समय के साथ कहीं खो जाता है।
यह चितन मंच, कार्य योजना के साथ कार्य को सक्रियता प्रदान करेगा। बहुआयामी प्रतिभा समपन्न लोग जब एकसाथ कार्य संपादन के लिए कार्यरत होगे तो हमारे विचार का प्रभाव दिखेगा और हमारी मानसिक संचलन को एक ऊँचाई मिलेगी साथ ही हमारे पैथि के साथ हमारा भी विकाश होना शुरु हो जायेगा।
सक्रिय लोगों के पास जब संगठन का कमान रहता है तो वर्तमान भी भविश्य की विश्वास गढ़ता है और मन मे एक विचार क्रांती का प्रवाह चलने लगता है, जिससे कार्य संपादन के प्रति बढ़े हमारे विश्वास को एक गति मिलती है।
आइये इस संस्था से जुड़कर हम स्वयं को एक परम प्रतिभावान जागरुक डॉ समाज का हिस्सा बने और सतत प्रवाहवान जीवन को नव चिंतन मे ढ़ालकर बाधाओं को पार करें।
संगठन कि बिशेषतायें
- संगठन में सक्रिय सदस्य की बहुलता पर ध्याण केन्द्रित किया जाता है जो खुद के साथ संस्था को भी सक्रिय रखने के लिए नियमतः कार्यक्रम की रुपरेखा का निरुपण करते है जिससे की क्रियाशिल डॉ समुह का सर्वागिण बिकाश हो सके।
- व्यवसाय तथा नौकरी या दोनो मे सक्रिय रहने वाले उर्जावान डॉ लोगो के द्वारा अनुभव के आधार पर उन्नत कार्यक्रम का निर्माण मे अग्रणी भुमिका को रखते हुए सबके कल्याण के लिए कार्यक्रम का निर्माण।
- चर्चा के विषय मे बिभिन्नता को प्राथमिकता दि जाती है जिससे की सभी तरह के सोच को रखने वाले को सही न्याय मिल सके जिससे की समाज निर्माण मे डॉ की भुमिका को अग्रणी स्थान प्राप्त हो।
- समाज के अंदर व्याप्त होमियोपैथिक के चिंतन की व्यवस्था को समझने के लिए एक प्रारुप को तैयार करते हुए स्वयं को नविनम व्यवस्था के साथ बिकास की नई व्यवस्था को बिकास करना।
मेरा नमस्कार सबको प्राप्त हो।
लेखक एवं प्रेषकः डॉ अमर नाथ साहु