History

इतिहास

संस्था को बनाने के लिए बिचार तो सभी सक्रिय लोगों के मन मे था लेकिन इसका वास्तविक जरुरत तब महसुस हुआ जब डॉ आमेद जी को दिल्ली मे ईडी से मिलने के लिए मैने प्रेरित किया। व्यक्तिगत रुप से मिलने के लिए उनके मन मे दुविधा थी इस कारण उन्होने अपने एक करीबी वकिल साहेव से हमारी बात कराई। उऩ्होने इनके द्वारा किये जाने वाले प्रयास को जरुरी माना लेकिन व्यक्तिगत रुप से सक्षम नही जाना। साथ ही उन्होने सबको एक मंच पर आकर एक संस्था के रुप मे कार्य को करने की सलाह दी। हलांकि आमोद जी के द्वारा कार्य संपादन का प्रयास असफल रहा। लेकिन संस्था को बनाने की मेरी चितन दिर्ध हो गई थी।

   स्वास्थ्य मंत्री जी से मिलने के लिए जब हमलोग यानी मै ‘डॉ अमर नाथ साहु’, डॉ विभा जी, डॉ राजीव जी, डॉ आलोग जी एकत्रित हुए तो काफी देर के इंतजार के वावजुद भी मुलाकत नही हुई। वहां पर उपलब्ध मिडिया लगातार संस्थागत रुप से आये लोगो को वारियात दे रहे थे। हमलोगो को सुनने की किसी ने जरुरी नही समझा। संस्था को बनाने की जिज्ञासा की प्रवलता वहीं पर तिव्र हुई और हमने इसकी चर्चा अपने साथी डॉ से किया।

इसके पहले समर्थक डॉ बिभा जी बनी, फिर डॉ आलोक ने इसका नामाकरण सेन्ट्रल होमियोपैथिक ऑर्गेनाईजेशन के रुप मे किया जिसका समर्थन राजीव जी ने किया। संस्था के निर्माण के लिए मैंने जरुरतमंद लोगो से बिचार विमर्श किया। इसकी शुरुआत से पहले होमोयोपैथिक के बिकाश के लिए स्थापित कई संस्था से सम्पर्क किया गया लेकिन सिर्फ आस्वाशन मिला जिसके सहारे चलना संभव नही था।

  मैने अपने सम्पर्क के सभी डॉ से सम्पर्क का क्रर्यक्रम शुरु किया जो मध्य दिसम्बर 22 तक 56 तक पहुँत चुका था। वन्धुओ आपलोगो का सहयोग और समर्थन के जो भाव हमलोगों ने पाया है उससे हौसला बढ़ा है। हमें आशा ही नही पुरा विश्वास है कि हमलोग अपने मिशन मे सफल होगें। आपका साथ और विश्वास ही हमलोगो के सफलता की गारंटी बनेगा।

लेखक एवं प्रेषकः डॉ अमर नाथ साहु