प्रेरक प्रसंग 23
संगठन की शक्ति को समझते हुए कार्य योजना बनाकर आगे बढ़ने की जरुरत होती है। जिसमे सभी तरह के बिचार वाले डॉ बन्धु का सहयोग होना जरुरी होता है। इस भाव को समय – समय पर जागृत करने के लिए कुछ प्रेरक बातें को आप तक पहुँचाया जाता है कि जिससे कि भाव की सुढ़ता संगठन के प्रती बनी रहै। मन मे उठने वाले विचारों का जवाव कभी – कभी स्वयं ही देने होते है और जो जवाव आता है वह फिर एक प्रश्न खड़ा करता है। इस तरह के प्रश्न के जवाव कार्य योजना को करते हुए अनुभव से ही जाना जा सकता है।
अनुभव व्यक्ति विशिष्ट होता है यह जरुरी नही की सभी सहमत हो लेकिन देर सवेर आप को इस तथ्य की भी जानकारी हो जायेगी। लेकिन यह बिचार तो आपके तर्क शक्ति से जब तौला जायेगा तो आपको यह आभास होगा की आपको आगे बढ़कर प्रयास करने की जरुरत है। आपके कार्य उर्जा को उत्साहित करने के लिए जो प्रयास आपके द्वारा होता है वही उर्जा आपके जीवन को एक मुकाम तक पहुँचाता है।
नोटः संठगनात्मक शक्ति को दर्शाता यह उक्ति समय के साथ आगे बढ़ने के लिए सुचित किया गया है जिससे कि कार्य योजना को समय से नियमन किया जा सके। आप तक पहुंचकर यह आपको जो संदेश दिया उसका भी जवाव आप देंगे तो आपकी सक्रियता गुणित होती जायेगी। आप आगे आयें हमें खुशी होगी।
नोटः नौकरी मार्गदर्शक के रुप मे यह परिस्थिती से लड़ते हुए मन की चंचलता को नियमित कर पाने मे होने वाले कठीनाई से लड़ने को आश्वस्त होते हुए आगे बढ़ने को प्रेरित करता है। समय के धारा को समझने के साथ कार्ययोजना को बनाकर आगे चलने के लिए यह उस्साह बढ़ाने वाला कदम के तरफ इँगित करता है।
नोटः यह बिचार हमे वर्तमान मे चुनौती को सामना करने के लिए संगठन की जरुरत की ओर ध्याणाकर्षण के लिए किया गया है जिससे की उत्साह को क्रियावयन के साथ कार्य गति को आगे ले लाया जा सके।
नोटः हमारी कार्य उर्जा को उत्साह की तब जरुरत होती है जब हमे चाहत के अनुरुप सफलता नही मिलती है जिसके कारण हमे जानकारी के साथ सामान्य निर्देश को पालन करते हुए स्वयं के अंदर को जगाना होता है। कुछ करने के लिए प्रेरित होना होता है। जिससे की अशंका को बिराम मिले और जीवन को आराम मिले।