Doctors day
डॉक्टर दिवस
डॉक्टर को समाज मे भगवान का दर्जा प्राप्त है। जीवन को सुख और शंती पुर्ण रुप से जीने के लिए हमे स्वस्थ्य रहना बहुत जरुरी है। स्वस्थ्य तन मे ही स्वस्थ्य मन का वास होता है जहां सुखद जीवन का एहसास होता है। स्वास्थ्य रहने के लिए जीतने अवयव है सभी का समायोजन सही रुप होना जरुरी है। समय-समय पर होने वाले शारीरिक मानसिक बतलाव से भी हम सुरक्षित रहे इसके लिए जरुरी है कि बदलते समय और मौसम के हिसाव से हमारा स्वास्थ्य भी सही रहे।
डॉक्टर के द्वार सिर्फ रोगी को दवा दे दी जाय तो रोगी के मानसिक पटल पर होने वाली आशांका नही मिटती है। उसके मानसिक पटल पर जो आशांका होती है उसका सही समाधान भी जरुरू होता है जिससे की उसको विश्वास हो की उसके बिमारी का सही समाधान समय से हो जायेगा। उसके द्वारा उठाये गये कदम तथा होने वाली परेशानी को भी रेखांकित किये जाने की जुरुरत है जिससे रोगी और डॉक्टर के बिच संवाद वेहतर हो। आजकल का माहौल व्यापारिक होता जा रहा है जहां पर समान्य भावना कोई मायने नही रखती है। रोगी को दवा लिखने के बाद डॉक्टर के सारे दायित्व समाप्त हो जाता है। जवकि होना ये चाहिए कि रोगी के ठीक होने का मुल्यांकन होना जरुरी है जिससे की रोगी के ठीक होने प्रवलता के साथ ही कुछ सिखने का मौका भी प्राप्त हो। ऐसा तभी संभव है जब डॉक्टर अपने इलाज के प्रति निष्ठावान हो। अजकल के माहौल मे बहुत सारी आशंका तैरती है जिसका समुचित समाधान मिलना मुश्किल होता है लेकिन जहां इस तरह के समाधान उपलब्ध है वहां आज भी डॉक्टर को काभी सम्मान मिलता है।
आज का दिन काफी खास है। हमे अपने जीवन मुल्यो के बारे मे बिचार करना परेगा की हम अपने कार्य के प्रति कितना उतरदायित्व रखते है। हमेंं और क्या करने की जरुरत है जिससे कि स्वास्थ्य को वर्तमान चुनौती का सामना हम कर ,सके और समाज को एक वेहतर सेवा प्रदान कर सके। लोगो मे विश्वास की जो लड़ी वनेगी ओ डॉ समाज के लिए उच्च सम्मान का विषय होगा। डॉ के उपर समय समय पर कई तरह के आरोप लगते है जिससे की उसकी प्रतिष्ठा पर आंच आती है। हमको इस विषयो पर प्रमुखता से कार्य करना होगा तथा स्वछ्य और सुंदर विचार के साथ विवाद मुक्त सेवा प्रदान करते हुए स्वयं को गौरवानवित होने का सुनहरा मौसम को पाकर आनंदित होने का सौभाग्य वान बनना होगा।
आज स्वास्थ्य से जुरी सभी लोगो को इस विषय पर विचार करने की जरुरत है कि रोगी और डॉक्टर के विच विश्वास के साथ वेहिचक बातचीत हो तथा रोगी सही निदान पाकर रोगी सिर्फ ठीक ही नही हो वल्की आनंद का एहसास भी करे मानो कि उसने कोई नया जीवन पा लिया हो। हमारे दिनचार्य से भी हमारा स्वास्थ्य प्रभावित होता है जिसको भी सही करने की जरुरत होती है। इसके संबंध मे भी दिशा-निर्देश की जुरुरत होती है जिससे की समय को साथ इस तरह की पेऱेशानी का समना दुसरों को नही करना परे। हमारे मानसिक पटल कर होने वाली विषाद का कभी-कभी गहरा प्रभाव परता है इसके लेकरके भी लोगो सावधान करने की जरुरत है। यदि इस तरह की समस्या का कभी सामना करना परे तो लोगो का किस तरह से खुद को सही रुप से व्यवस्थित करे।
लेखक एवं प्रेषकः डॉ अमर नाथ साहु
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