शादी के बाद वैवाहिक जीवन एक युगल जोडी के रुप मे समाज मे स्थापित होकर जीवन यापन करते हुए बितने लगता है। जिसमें एक दुसरे का ख्याल रखना होता है। उमंग उल्लास के साथ जीवन से जुड़ी समस्या का ख्याल भी रखना पड़ता है। परिवारीक व्यवस्था के अनुरूप हम अपने आप को समायोजीत करते भी है। खान-पान का पुरा ख्याल रखना जरुरी होता है। समय से भोजन करना तथा समय के साथ अन्य समस्याओं का समाधान करना जरुरी होता है। साथ ही नई जरुरतों को पुरा करने के लिए अपने आप को तैयार करना भी होता है।

    भारत मे अब एकल परिवार की व्यवस्था व्यापक रुप लेने लगी है जिसके कारण वैवाहीक जीवन से जुड़ी सटीक जानकारी के लिए हमे परिवार से बाहर के व्यक्ति या स्त्रोत पर निर्भर रहना पड़ता है। समय के अनुरुप कभी जानकारी मिल भी जाती है तो कभी नही भी मिलती है। कभी-कभी हम  संकोच वस अपने समस्या को झेलते है, तथा समय पर निदान के लिए छोड भी देते है और समस्या हमें जकड़ लेती है।

    आजकल बिचार के लिए अनेक साधन उपलब्ध है पर समय से उसका मिल पाना आसान नही होता है। व्यवहारीक जीवन मे आने वाली समस्या बहुत बड़ी नही होती है लेकिन इसका नजर अंदाज करना जोखिम भरा होता है। एक बार यदी हमे इसके बारे मे पता चल जाये तो समाधान को ढ़ुढ़ना भी आसान होता है। यहाँ हम इससे जुड़ी हम पहलु पर बिस्तार से चर्चा करेंगे। 

    महिलाओं तथा पुरुषो मे होने वाली बीमारी आलग-आलग होती है। शादी के वाद शारीरिक सम्बन्ध तथा इसके प्रबंधन मे कमी के कारण कई नये तरह की बीमारी जुड़ जाती है। इसका कारण नये परिवेश के अनुुरूप शारीरिक देखभाल की विशेष आवश्यकता होती है जिसका पालन नही किया जाना होता है।

     समान्य लोग स्वभाव वस सामान्य आवश्यकता की पुर्ती करके अपना काम चला लेते है। बदले परिस्थिती के अनुरूप हमारे दिनचार्या में भी आवश्यक बदलाव करना पड़ता है जिससे समय के साथ शारीरिक जरुरतों को पुरा किया जा सके। समान्यतया लोग अपनी जानकारी को ही प्रयाप्त मान लेते है तथा होने वाली समस्या को जान ही नही पाते। आइये इसका पता लगाते है। 

भोजन- एक सामान्य प्रयोजन के तहत नियमित समय पर भोजन नहीं लेने के कारण कई तरह की समस्या का समना करना पड़ता है। समय  से भोजन का नही लेने के कई कारण हो सकते है जैसे – परिवारीक व्यवस्था को शादी के बाद परिवर्तित नहीं होना या उस व्यवस्था का हिस्सा वन जाना। भोजन को सोने से एक घंटा पहले लोना चाहीए तथा खाना खाने के बाद कम से कम 100 कदम चलना जाहीए जिससे भोजन का पाचन आसान हो जाता है। खाने के बाद तुरंत सोना या शारीरिक सम्बन्ध बनाना समस्या पैदा करता है। सम्भावित बीमारीयां जैसे-

  • पेट का भारी लगना
  • गैस बनना
  • पेट मे तनाव का बनना या पेट फुलना।
  • कब्ज
  • पतला पैखाना होना
  • पेट मे दर्द
  • पेड़ू मे दर्द
  • भारीपन

यदी हम इस तरह के समस्या का आसान उपाय ढ़ढ़ लेते भी है, लेकिन अपने दीनचार्या मे सही बदलाव नही करते है, तो समस्या समय-समय पर आती रहती है तथा अपने साथ कई जटील बीमारी को आमंत्रीत करती है। जटील बीमारीयां जैसे –

  • लिवर या यकृत मे संक्रमण 
  • लिवर का कर्य सही से नही करना
  • पेट मे दर्द

पानी –

   पानी पीने के लिए हमें खाना खाने के आधा घंटे के बाद ही सोचना चाहिए। जिससे आप प्रयाप्य मात्रा मे पानी पी पायेगे और आपका पाचन क्रिया ठीक रहेगा। शरीर के वर्ज्य प्रदार्थ पानी के साथ बाहर निकल जाता है और आपको ताजगी का एहसास कराता है। शारीरीक सम्बन्ध बनाने के तुरंत बाद या तुरंत पहले भी पानी नही पीना चाहीए। यदी आपका ब्लाडर भरा हुआ है तो आपको पोड़ु मे दर्द करने लगेगा। इसलिए शारीरिक सम्बन्ध से पहले मुत्र त्याग करना चाहीए। 

स्वभाव –  

  काम क्रिया का सम्पादन सही तरह से नही होने से तनाव बनता है। तनाव के लम्बे समय तक बने रहने के कारण या बार-बार तनाव बनने कारण भी व्यक्ति के व्यवहार मे बदलाव देखने को मिलता है।

  शारीरिक सम्बन्ध को पुर्ण रुप से सही प्रबंधन के साथ सम्पन्न होने से व्यक्ति मे सकारात्मक परिवर्तन होता है, जिससे मन प्रफुल्लित रहता है। काम मे भी मन लगता है। ध्यानाकर्षण के मान मे भी बृद्धी होती है। स्वतः स्फुर्त मन चंचल बना रहता है। सृजनात्मकता का योग बना रहता है। कार्य उर्जा मे कमी नही रहती है।

    शारीरीक सम्बन्ध से संतुष्टी का समय तथा इसका मान स्त्री और पुरुष मे एक समान नही होता है। यह एक कलात्मक एवं मनोयोग प्रक्रिया है। जिसका सम्बन्ध हमारे गुण ग्राहीता से है। आपका अच्छा स्वभाव आपके सम्बन्ध को और मधुर कर देगा। स्वभाव के बिसंगती के कारण बनने वाली समस्यायें जैसे-

·  काम मे मन का नही लगना

·  रुखा व्यवहार

·  तुनिक मीजाजी होना। 

·  भूलने की प्रक्रिया

विचार भ्रमण

    नियमित जिवन के समस्याओं का बारीकी के साथ बिश्लेषण करके यदि एक मानडड बना दिया जाय जिसपर चलने के लिए दोनो पक्ष सशक्त हो तो जीवन मे कभी गंभीर बैबाहिक बिच्छेद नही हो सकता है। इसके लिए आपको जाँच की आवश्यकता होगी। जिसके तहत आपको संतुलित, व्यवस्थित, तथा व्यहारीक पहलुओ के साथ वेहतर  सामायोजन का बिचार मिल सकेगा। आपका दिनचार्या थोङी सी सावधानी से वेहतर बन सकता है। यह तभी संभव है जब कोई आपके वारे मे पुरी डाटा संकलित करके आपको विचार दे। हमारे यहाँ इस तरह की व्यवस्था है। जिसमे आपको आवश्यकता के अनुरूप आपको व्यवस्थित किया जाता है। आप अपने सिमित साधन मे भी वेहतर जीवन यापन कर सकते है। इसके लिए आपको हमारे नियमित जाँच की व्यवस्था से जुड़ना पङेगा। कुछ बिचार जिससे बिषाद पैदा होता है। यथा-

·  लोग मुझे प्यार नहीं करते।

·  मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है।

·  मेरा संयोग ही खराब है।

व्यवस्था वियोग

  हम उस व्यवस्था का हिस्सा वन जाते है जिसका हमे पुर्वानुमान नहीं होता है। व्यवस्था के स्वरूप के यथोचित बदलाव की समुचित जानकारी का आभाव। एक  व्यक्ति जो आपके वारे में नियमित परिवर्तन की डाटा रखता है आपको होनेवाली वीमारी के प्रती सावधान कर सकता है।

लेखक एवं प्रेषकः- डॉ अमन नाथ साहु

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