बिमार रोग मुक्त संदेश
हमारा शरीर वातावरण के साथ हमेशा एक संतुलन मे बना रहता है। वातवरण मे परिवर्तन लगातार होता रहता है जिससे हमारे शरीर भी प्रभावित होता है लेकिन शरीर के द्वारा आंतरिक प्रक्रिया को सक्रिय करके संतुलन को कायम रखा जाता है। इसी संतुलन मे हमारे शरीर की समस्त उपापचयी प्रक्रिया कार्य करती है। अतः हमे शरीर के इस व्यवस्था का अच्छा ख्याल रखना चाहिए। यदि संतुलन मे कोई गड़बरी आती है तो इसकी जानकारी हमारा शरीर समय-समय पर शारीरीक तथा मानसिक व्यवस्था मे बदलाव से हमे अंतरिक हलचल के बारे मे सुचित करती है। इस जानकारी का प्रयोग करके हम स्वयं को नियंत्रित करते है। जिससे की बीमारी जटीलता की स्थिती मे नही पहुँचे। इस जानकारी को अऩसुना करना या समान्य समझ कर छोड़ देना हमारे लिए समस्या पैदा कर सकता है।
मानसिक स्तर पर होने वाली बदलाव के सहारे शरीर के सामान्य बदलाव को ठीक करके शरीर की रोगनिरोधक क्षमता को दुरुस्त कर दिया जाता है जिससे की समय के साथ शरीर की रोगनिरोधक क्षमता अपने उँचे स्तर पर बनी रहे। संक्रमण को पुरी तरह से रोक पाना संभव नही होता है। लेकिन यदि हमारे सही प्रयास के बाद भी संक्रमण होता है तो होमीयोपैथिक दवा के सहारे बीमारी को सही करके शरीर की रोगनिरोधक क्षमता को बनाये रखना आसान होता है। यह प्रकृतिक चिकित्सा आज मानव के लिए काफी उपोयगी सिद्द हो रहा है क्योकि इसका कोई बिपरित प्रभाव नही होता है।
मानव समाज लगातार सुक्ष्तम से सुक्ष्तम स्तर तक पहुँच रहा है। होमीयो पैथिक की प्रक्रिय भी अब इस दायरे मे आ गया है। बैज्ञानिक को अव यह यकिन होने लगा है कि होमियोपैथिक की प्रक्रिया सुक्ष्तम की काफी निचली स्तर पर होते हुए जो मानव को सेवा कर रहा है वह अद्वीतीय है। लगातार शोध हमारे बिचार को सशक्त कर रहा है जिससे होमियोपैथिक मे लोगो का बिश्वास काफी उँचा हुआ है। अभी भी बहुत कुछ किया जाना वांकी है। इसके लिए सतत प्रयास चल रहा है।
शोध की प्रक्रिया मे हमारा प्रयास लगातार अपने स्तर से जारी है। जिससे कई प्रकार के रोग को सही करके बिश्वास की स्तर को उँचा किया जा रहा है जिसमे हमारे आने वाली रोगी अतुलनीय सहयोग रहा है। हमारे सोच मे सिर्फ दाव ही नही होता है वल्कि पुरी प्रक्रिया होती है जिससे की भविश्य मे भी यह बिमारी दुवारा न हो। इसके लिए हम रोगी को मार्गदर्शन करते है इस बिश्वास के साथ की यदी वह इसका पालन करे तो कभी जीवन मे इस समस्या का सामना करना नही परेगा।
प्राकृत की प्रक्रिया इतनी जटील है कि हम सबकुछ को नियंत्रित नही कर सकते है लेकिन जहां तक हम कर सकते है वहां से जीवन आनन्द को बनाये रखना आसान हो जाता है। तो फिर क्या आप भी हमसे जुड़कर इसका लाभ उठा सकते है।
Disease come slowly and cause problem. Human thinking is applied here to cure it shortly. Many times his thinking mind it, but its reality is not checked. Slowly many problem comes and goes easily. Human thinking is still worked for wait and watch. ultimately, disease goes in deep seated and causes problem in social working. Affected people wants to cure it shortly because his income is disturbed. His thinking still works for maintaining by any means.
Disease comes in mental to physical level. This level of disease grows in severity slowly at this time treatment is start. For searching of better treatment many attempts are applied. Many times some new type disease comes by going old once. This type of analysis is not easy but may take in account. so treatment starts with mental level. you must check up your level of thinking and facing problem. At this level you will sure manage all types of disease.
Writer:- Dr. Amar Nath Sahu.
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